Tuesday, April 21, 2009

१० साल बाद मेरा गाँव

चलिए मैं इस बार आप लोगो को थोडी सी गाँव की सैर करा लाता हूं॥ इस साल छट पर मै गया अपने गाँव । मेरा गाँव देवरिया जिले में है .. और मेरे गाँव का नाम तिलौली है। बहुत ही प्यारा और छोटा सा गाँव है मेरा.... जो बचपन से ही मेरे दिल में बसता है । आप लोग विसवास नही करोगे मै और मेरा भाई हर साल इन्तजार करते थे की गर्मी की छुट्टी में गाँव जाएँगे॥




मै इसके पहले गाँव गया था जब मै क्लास ९ में था । खैर चलिए आपको रास्ते से सुरु करता हूं और गाँव में दो दिन रहने तक के सफर से मुखातिर करता हूं ।
आप सभी को अगर अपने गाँव के बारे में सोचे तो सबसे पहले बाबा और दादी की याद आती है .
आप को अगर विसवास नही आता तो एक बार सोच कर देखिये आप अपने बचपन में चले जावोगे और
आप देखोगे की आपके बाबा और आपकी दादी, गाँव में घर के बाहर बंधे गाय और बैल ।
आपका आम का बागीचा । वोह लहराहते हुए खेत । और गाँव की पूखर , वोह घर में बना मिटटी का चूल्हा । और घर के दालान में बाबा के दोस्तों का बैठना । वोह आपका गाँव के दोस्तों के साथ पाथर से आम तोड़ना ..और भी बहुत कुछ जिसको लिखने के लिए मेरे पास सब्द नही है ।



वोह रात को दादी का भूत वाली कहानी सुनना ...वोह दादी का आपको चुरा कर दूध रोटी खिलाना ..आप को लेकर भूजा भुज्वाने "घोंसार" में जाना । वोह आपको सबसे मिलवाना की " देखा यी हामर बाबू के लैका हा सहर में पड़ेला बड़ा होकर डॉक्टर बनी हम्मर बाबू " ॥ यह बात तो मेरी दादी बोलती थी , पर मै दावे के साथ बोल सकता हूं की आप सब की दादी भी कुछ ऐसा ही बोलती होंगी॥

" न गीता से न कुरान से अदा होती है ॥
न बाद्साहो की दोलत से अता होती है ॥
रहमते बरसती है उन पर जिन पर बाबा ,दादी और बुजुर्गो की दुआ होती है॥



चलिए यह तो कुछ बीता कल था॥ आइये आपको आज में ले चलो॥ तो मैंने रिज़र्वेशन करवा लिया था १५ दिन पहले और मै बहुत खुस था की मै १०-१२ साल बाद गाँव जा रहा हूं ॥ मेरे बाबा है वहा पर, मेरी दादी तो नही रही अभी ॥ तो जब मै गाँव के स्टेशन पर उतरा ॥ उस समय दिन के २ बजे थे । मेरे गाँव का स्टेशन लार रोड है ॥ वहा से जब मै बाहर गया तो मैंने देखा की सभी मेरे को घूर घूर कर देख रहे है॥ फिर मैंने गौर किया की मै तो साला सलमान की तरह सजा हूं ..जैसा की मेरे को यह ग़लत फैमी है की मै तिशिर्ट पहन कर सलमान लगता हूं ॥ पूरा चस्मा लगा कर मै कंधे पर बैग लिए एक ऑटो के पास जाकर पुछा ॥

" भाई तिलोली गाँव का कितना किराया लोगो "
ऑटो वाला : का बाबू मुंबई से आवा तारा का ॥
पंकज : नही कोलकता से आ रहा हूं आप यह बतावो की कितना किराया लोगो और कितनी देर लगेगा ॥
ऑटो वाला : २०० रुपया लागी और रास्ता थोड़ा खराब हो गईल बा यह से आधा घंटा ता लागी बाबू॥
पंकज : ठीक है दो मिनेट रूको मै थोड़ा मिठाई और फल ले लेता हूं ।



इतना कहकर मै एक फल वाले के पास गया तो उससे बोला की आप एक किलो सेब दे दो ॥
तो फल वाला बोला की ४५ रुपया के बा डे दी ॥
तब मै समज गया ॥ और मैंने भी भोज पुरी स्टार्ट की ...और बोला
पंकज : का हो अबे ता तू ३५ -३५ चीलात रहला ..हमरा के देख कर ४५ बोला तारा ..का सोचला हा की हम कही बाहर के ही का ॥
फल वाला : अरे maaf करी बाबू..आप ऐसन बनल ठानल बानी की बूझा ता की सीधे मुंबई से आवा तानी॥
पंकज : वाह भाई ... ऊपर के कपड़ा देख कर सब भाव बाढा देले हा ..अंदर के आदमी देखे ..हम येही गाँव के हाई ॥
फल वाला : माफ़ करी बाबू ..आप ता केतना सुंदर भोजपुरी बोला तानी काहा जाइम आबे ॥
पंकज: तिलौली गाँव जाइम यार ॥ aato वाला २०० माँगा ता ...तुहू ३५ से ४५ का देले हा ..सोचा तानी की कोना में जाकर पहले ड्रेस बदल ली॥


फल वाला : अरे न आप हमरा ऑटो से चल जाई १०० रुपया डे डेम और हा २ किलो सेब डे डे तानी ...तिओहार हा ॥

तो ऐसे कर के मै अपने घर पंहुचा ॥ दिन के करीब ४ बजे थे। मेरे बाबा अपने दोस्तों के साथ घर के बाहर बैठ कर तास खेल रहे थे । मैंने उनके पैर छुआ तो वोह मेरे को देख कर बस गले लगकर रोने लगे ॥ और जोर से चिला -चिला कर बोलने लगे " यह लखन देखे हमार बाबू आ गइल...यह बलेसेर देख बाबू आ गइल हमर ...अब्ब तू हमारा के ५०० रुपया देबा ..जानातारा हमरा से ये सरत लगाए थे की तू न आइबा ..देखा बलेसेर " ...

आप बिस्वास नही करोगे मै एकदम से समज नही पा रहा था की कोई मेरे को इतना भी प्यार करता है ..की मेरी गाँव में एक जलक देखने के लिए वोह ५०० की सरत लगा कर बैठा है ॥ मै अपने आंसू रोक नही पाया ॥ फिर मेरे घर से चाची आई मेरी मेरी छोटी दादी आई ...सभी मेरे को बस पकड़ के रो ही रहे थे ॥ मेरे को यही लगा की मैंने कितनी बड़ी गलती की मैं इतने दिन बाद अपने गाँव आया ॥

मै आप लोगो से यही कहूँगा की आप अपने गाँव को मत भूलो ...आप कही चले जईओ॥ पर मै इस बात का दावा करता हूं की अपनी मिटी जहा आप जनम लिये हो जो आपका गाँव है ॥ आप उसको मत भूलो ..आप कम से कम साल में एक बार तो जरूर जियो ...आपकी मिटटी का क़र्ज़ है आप पर॥ मै अपना एक्स्पेरिएस लिख रहा हूं ..और यह आसा है की आप इसको पड़कर एक बार भी अपने गाँव को याद कर लेते हो तो दोस्त मेरा यह लिखना सफल हो जैगा ॥

चलिए आगे की बात बातता हूं ...तो उस दिन तो रात में मेरी छोटी दादी ने मेरे लिए फ़िर वही लिट्टी बनाई॥ और मेरे से खूब बाते की ..उनकी बाते पूरी नही हो रही थी ॥ और पता है क्या बाते कर रही थी । यही की जब मै २ साल का था तो कैसे "लंगटे" घूमा करता था गाँव में ॥ और माड़-भात खाकर और थाली अपने सर पर रख लेता था । कैसे मैं दरवाजे पर खडे होकर उनको बुलता था ॥ मै सही बोल रहा था उनकी २-३ घंटो की बातो में मै अपना बचपन दुबारा जी कर आ गाया । बात करते -करते उनका मेरे को पकड़ कर रोना ...सही बोल रहा हूं सब्द नही मेरे पास की उसको लिख सकू॥



और जब से मै गया था तब से मेरी चाची और दादी बस पीछे ही पड़ गई थी की बस अब्ब शादी करो॥ अपने रिस्तेय्दारी में कई लड़कियों के बारे में बतया ॥ मै ऐसा हूं की बस ख़ुद बोलता हूं और किसी को बोलने का मौका नही देता ..पर उस दिन मै बस उनकी बातो में अपने लिए प्यार देख रहा था ॥

सुबह मै क्या खाऊँगा ..काहा घूमने जाऊँगा सब कुछ की प्लानिंग कर रहे थे ॥ और जब मैं रात को खाना खा रहा था तो मेरे बाबा भी घर में आ गए ॥ तो चाची और दादी ने पूरा घूघट किया और पास में खड़ी हो गई । और बाबा कुर्सी पर बैठ कर मेरे से बोल रहे थे ॥ ( कुछ अंश)

बाबा : बाबू कल मै तुमको अपने साथ गाँव में घुमाने ले चालूँगा । और कुछ विसिस्था लोगो के घर चलेंगे॥
पंकज: जी बाबा ॥

बाबा: अरे बहु इसको और खाना खिलआयो ..देख रही हो कैसा पतला दुबला हो गया है (वैसे मै आपको बता दूं मेरा बजन ७६ केजी है) ॥ और इसको दूध देना जो घर का है ॥ (मेरे घर पर एक गाय है)॥ और बाबु तुम कल सुबह जल्दी उठ जाने मै तुमको अपने खेत दिखाने ले चलूँगा ॥ तुम्हरे बाप तो आते नही है ..पर तुम जो आज १० साल बाद आए हो . (यही कहकर रोने लगे) ॥ आज तुम्हरी दादी होती तो उससे जादा खुस इस गाँव में कोई नही होता ॥

फिर मेरे लिए बहुत सही बिस्तेर किया गया ॥ और मेरी choti दादी नें मेरे सर पर वही पुरना हिम्ताज तेल लगा कर मालिस की॥ सच बोल रहा हूं .उस समय मेरा सर मेरी दादी की आँचल में था ॥ आप को मै बता नही सकता की मै यही सोच रहा था की अब्ब मै कम से कम साल में टाइम निकाल कर यहाँ जरूर आऊंगा॥


फिर जब सुबह हुई तो मेरे बाबा मेरे को जगाने आए ॥ और बोले की तुम फ्रेश हो लो और नहा लो ॥ आप समज सकते हो की नवम्बर का महिना था ..और सुबह के ६ बजे थे ॥ और मैंने उस समय जब घर के बाहर लगे हैण्ड पम्प पर नहया तो ..सच कह रहा हूं ॥ दिल प्रसन हो गया ॥ फिर बाबा ने मेरे को अपना कुरता दिया और बोला की यह मैंने तुम्हरे लिए बनवाया है । तुम इसको पहन कर चलो॥

फिर बाबा मेरे को गाँव के बाहर जो मेरे खेत थे उन सबको दिखाने ले गए ..उस समय गंहू की फसल लगी थी॥ और खूब प्यारी हवा चल रही थे मेरे को बहुत अछा लग रहा था ॥

फिर मै १० बजे तक घर आ गया ॥ और फिर अपने चचेरे भाई और बाबा के साथ गाँव घूमने गया ॥ बाबा मेरे को अपने ४-५ दोस्तों के घर ले गए ॥ और सब जगह यही बोलते की यह मेरा पोता है, और कोलकता में कंप्यूटर इंजिनईर है ॥ फ़िर घर की औरते मेरे को अंदर बुलाती ॥ (और कैसी बात करती कुछ अंस ॥mai unko bhabhi keh ker sambodhit kerta huin)

भाभी : का dewar जी आप ता पूरा हीरो है ..अछा गाँव में सम्हाल कर जायेगा ..कोई लड़की आपको पकड़ न ले ॥ अछा कोलकता में कोई देवरानी दूंदे है हमारे लिए ..की हम डूंड डे॥

पंकज : नही भाभी आप ही डूंड दीजिये ॥ आप तो अछा दूंदोगी ..आप की तरह ही डूंड दो मेरे लिए भी॥
भाभी : अरे मेरी बहन से कर लीजिये ..मेरे से भी सुंदर है ..और आप सहर में उसको जैसा रखियेगा वैसी रहेगी॥
कहिये तो आपके पापा से बात करे ॥
पंकज : हा जी बिल्कुल॥
भाभी : और आप तो इसके पहले आए है कभी छाट पूजा में ॥ हम तो आपको पहली बार देख रहे ॥ वैसे सुना था बहुत आपके बारे में ..आपकी चाची बहुत बात करती है आपके बारे में ...खैर जैसा सुना था उससे भी बड़कर है ॥
चलिए कुछ खा लीजिये ॥

तो इस तरह की बाते की मैंने भाभी लोगो से ...



अब्ब मै थोड़ा गाँव में अपने भाई के साथ निकला ऐसे ही घूमने के लिए ...तो एक जगह ५-७ लड़के और कुछ लोग थे ॥ उन्होने मेरे को बुलाया ... (उनके साथ बात के कुछ अंश ..मै उनको भईया कहकर बुलाता हूं )

भइया : अरे आप तो कोलकता में है न ...आप तो रमेश (मेरे पापा का नाम ) भइया के लड़के है न ॥ हा आपके बाबा कह रहे थे॥ की आप आने वाले है ..तो गाँव घूमे ...कैसा लगा आप तो बचपन में आए थे ..कुछ याद आ रहा है आपको ॥

पंकज : हा भइया जी अछा लगा रहा ..कल तो छाट पूजा है ..और भी अच्जा लगेगा ॥


भइया : और बाबु किस कंपनी में काम करते है ... कोई बिदेसी कंपनी है ..आपके बाबा बता रहे थे ॥

पंकज : हा मै एक मुल्तिनाशंल कंपनी में काम करता हूं ..और यहाँ भी उसकी ब्रांच है ..कोलकता में मै वही काम करता हूं॥

भयिया : अछा आपको पैसा तो अछा मिलता होगा ... ३०-४० के करीब ॥
पंकज : हा मिल जाता है इतना ॥

भयिया:अछा क्या पढाई पडे थे बाबू...और कितना खर्चा आया था ॥
पंकज:मैंने यम् .सी .ये किया है और पूरा कोर्स में १ लाख के करीब फीस लगी थी॥

भइया : हा आपके पापा तो सरकारी नौकरी करते है ...चलिए बहुत अछा बाबू॥ अछा आपकी कंपनी में चपरासी भी तो काम करते होंगे ... हमको लगता है उनको भी १० हज्जार तो मिलता होगा ॥

पंकज : हा आराम से॥


भइया : अछा आप तो सहर में जॉब करते हो कुछ गाँव के लिए भी करो एक दो आदमी को अंदर कर्वैओ अपनी कंपनी में ॥

पंकज : हा कोई पढ़ा लिखा हो तो बताइए ..देखिये जरूरी नही की मेरी कंपनी में पर और भी कही जॉब लग जैगी ..हा मै उनको रहने -खाने में मदत कर दूँगा ॥

भयिया: " ये सिज्जुया हेने आइओ ता ..." बेटा यह सिज्जू है ..गाँव के सबसे पडे लिखे है ..." bol na ka padley baadey "

पंकज : हा सिज्जू भयिया ..आप बोलो आप क्या पढे हो॥

सिज्जू : अरे कुछ न हम बी.ऐ पढ़ल बानी ...कुछ जुगाड़ होखे ता बतैओ ॥



पंकज : हा आप अपना डिटेल मेरे को डे देना ..मै कोसिस करूंगा ॥

सिज्जू: अछा पिन्किया बतावत रहे की कंप्यूटर लेकर आइल बड़ा ...

पंकज : हा कंपनी दी है लैपटॉप काम करने के लिए ..की घर से भी काम कर सके॥

सिज्जू: हमनियो के दिखवा ...और कैमरा से फोटो -शोतो खीचा ॥

पंकज : हा एकदम कल छाट के घाट पर पूरा सबके फोटो खीचम॥




तो इस तरह वोह दिन पार हुआ मै पूरा गाँव घूमा और सबसे बाते की ...और मैंने यह देखा की सभी मेरे से बात करना चाहते थे ...खासकर भाभी लोग ॥ फिर दूसरे दिन छाट पूजा थी॥ मै गाँव के बाजार गया साइकिल से और सब सामान लेकर आया जो पूजा में लगना था ॥



फिर साम को मै छाट घाट पर गया .वहा पर पूरा गाँव जुटता हुआ था ॥


मैंने सभी से बाते की और बहुत एन्जॉय किया ..और फिर दूसरे दिन मेरे को वाप स आना था ...

जब मै अपने घर से वापस आ रहा था तो सभी की आंखे नम थी ..पर मैंने सबसे काहा की मेरे को बहुत अछा लगा की मै यहाँ आया और छाट पूजा को आप लोगो के साथ एन्जॉय किया ॥ और मै यह आप लोगो से वादा करता हूं की मै हर साल आऊंगा ॥

और फिर मै वाप स कोलकता आया ॥ तो यह थी मेरी गाँव की कहानी ....जो पल मैंने वह अपनी परिवार के साथ बिताये ..उनको याद करके आज भी मेरे होंठो पर मुस्कान आ जाती है॥

मै यही कहूँगा की आप सब को अपने गाँव जाना चाहिये और अपने बाबा ,दादी और अपनी फॅमिली के लिए टाइम निकालना चाहिये ॥







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5 comments:

  1. a touchy post - keep them coming...

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  2. at the begining i hav thought this will be a time consuming borrrr....

    But its pretty nice story
    its interesting, and i hav read this completely.
    its really a good one.....

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  3. thanks mannu .. it was directly from heart , and i am happy u appreciate that.

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  4. thanks nitesh ..u r so good friend of mine i just request to u ..please send it to proper place ...u know wht i mean to say

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  5. "गंगा किनारे मोरा गाँव हो" - आपके पोस्ट को पढ़ कर मेरे जहेन सबसे पहले यही सब्द गूंजने लगे! आपके पोस्ट ने मुझे मेरे गाँव की सैर करा दी! बेहतरीन शैली में लिखी एक बेहतरीन पोस्ट है यह! हमे अपने मिटटी की खुसबू को याद दिलाने के लिए धन्यवाद् मित्र!

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