Friday, July 10, 2009
Wednesday, June 10, 2009
नन्द लाला की धरती का सफर
एक ऐसा सफर जो अपनी आप में एक ऐसी याद सजोये हुए है । जिसको बस महसूस किया जा सकता है , और मै और मेरे दोस्त जो उस सफर में मेरे साथ थे । वोह अपनी यादो को महसूस कर सके और आप भी अपने आप को इसमे खोज सके , इसलिए चलिए आपको वही समय के बिपरीत कानपुर,आगरा ,मथुरा ,और गोकुल की गलियों में ले जाने का प्रयास करता हूं।
आपने सुना ही होगा की कोई भी सफर सुरु करने के पीछे एक कारण छुपा होता है । तो हमारे अमोल सफर के पीछे भी एक बहुत खूबसूरत कारन था । खूबसूरत इसलिए कियोंकि उस समय किसी के माँ-बाप की तमन्ना पूरी हो रही थे ,और किसी को अपना जीवन साथी मिल रहा था , मतलब हम सभी अपने एक दोस्त की शादी में जा रहे थे । और शादी थी कानपुर में जो की मेरा होम टाऊन है । सभी मेरे दोस्त नही थे बल्कि लाइफ टाइम दोस्त थे । और अगर आप लाइफ टाइम दोस्तों के साथ है ,तो सफर भी लाइफ टाइम यादगार होना चाहिए ।
और मै ऊपर वाले का अहसान मंद हूं की उसने मेरे को चुना की मै इसको प्लान कर सकू और अंजाम दे सकू। हम सभी आँखों में हसीन सपने और दिल में जोश लिए ट्रेन में सवार हो गए । उस दोस्त ने हम सभी का रिज़र्वेशन राजधानी से करवाया था । जो उसके लिए भी जीवन भर की यादगार चीज थी। और हम सभी अपने बुजुर्ग दोस्त के साथ राजधानी में बैठे।
और मैंने सामान रखने के बाद बोल की बुजुर्ग दोस्त जी मैं थोड़ा पानी की बोतल ले कर आता हूं । तो बुजुर्ग दोस्त बोले । भाई मै जनता हूं की जिन्दगी में कभी राजधानी में नही बैठा । पर मेरे से पूछ लिया कर , अभी २ मिनट रुक , अभी पानी मिल जाऐगा । बात सही थी मै पहली बार राजधानी में सफर कर रहा था । तो मेरे को पता नही था की यहाँ सब मिलता है । मैंने बस उनको यही जबाब दिया की आप जादा उर्जा मत बेस्ट करो । आपको शादी के बाद उसकी जरूरत है । तो बुजुर्ग दोस्त चुप ओ गए । और बोले की तुम बात सही कह रहे हो। बुजुर्ग दोस्त जिनकी शादी थी , उनको लेकर हम लोग कुल ७ आदमी थे ।
गाड़ी में चढ़ने के बाद २ लोग सतरंज खेलने में जुट गए ,और चार लोग तास खेलने में । और हमारे बुजुर्ग दोस्त शादी के हसीन सपनो में । आइये अब्ब आप लोगो को बाकी पाँच लोगो का थोड़ा सा परिचय दे देता हूं ।
सुरुआत करते है बंटी से । यह सर जी अपने बारे में कुछ ऐसा बोलते है की "banti khada to sabkey baap sey bada " और इनकी खासियत यह है जो की यह ख़ुद बोलते है की ... बंटी उस आदमी का नाम है जो मुर्दे का पीच्वाडा सूंघ कर बता देता है । की मुर्दा किस गम में मारा है । तुम लोग तो साले अभी जिन्दा हो। तो यह थे बंटी॥
और एक है नितेश अम्बुज । यह पटना के रहने वाले है । वही पटना जिसके बारे में मशहूर है ॥ "की सैया जन जा पटना न ता dewra ka di kauno ghatna" । इनके बारे में मै यही कह सकता हूं । की यह नारी प्रिया आइटम है । मतलब चिकने ,गुलगुले । लड़किया इनको देखकर बस यही कहती है की ।"yahi hai right choice babay"
और एक साहब जादे है । लोग उनको अंसु कहकर बुलाते है। यह आसनसोल के है । यह लव गुरु टाइप के आइटम है मेरी सभी प्रेम कहानियो की आधार सिला इन्होने ही राखी है । जबकि यह अपनी रामायण सात साल में नही लिख पाये ।
और एक साहब जादे है ॥ नाम है मनीष कुमार सिंह । नाम के सिंह है । पर शेर की जगह बन्दर नचा देते है । और उनका कहना है की "लगे रहो किनारे पर लहर जरूर आयगी..." इसका मतलब की किनारे पर लगाये रहो कभी न कभी घुस ही जायगा ।
और एक साहब है राजीव सर ॥ इनको देखकर बस यही लगता है की कोलकता में पिलास्फेर की कमी यही पूरी कर रहे । साला हर चीज पर एक कांसेप्ट है इनके पास । इनके लिए यही की" तकदीर बनाने वाले तुने कमी न की यह मुकदर की बात है किसको क्या मिला ।" तो यह था दोस्तों का परिचय ॥
मैं अपना परिचय क्या दूं । आपको तो पता है की हमारी दास्तान सब्दो में लिखी नही जा सकती .
तो यह पार्टी पहुची कानपुर । और नास्ता करने के बाद सभी गाड़ी में सवार हो गए । और मंजिल थी आगरा का ताजमहल । और भरत पुर का बर्ड सेंचुरी । पर पता चला की ताजमहल सुकरवार को बंद रहता है । और सुकरवार को केवल मुस्लिम लोग ही जा सकते थे । हम सभी जा सकते थे पर वही प्रॉब्लम एक ही थी की अगर चेक्किंग हो जाती तो सब पकडे जाते ॥
फ़िर भी सफ़र में इसको लेकर कोई प्रॉब्लम नही थी। डिस्कशन चल रहा था और टोपिक था लव ॥ आप लोगो को एक बात से अवगत करा दूं की यह एक ऐसा टोपिक है की इस पैर बोलने वालो की कमी नही है ॥ खासकर वोह लड़का जो अपनी mehbooba के baachha का मामा बन चुका है । और yaha तो सभी मामा थे ।
khir सफर aagey बड़ा और rastey में panjaabi khaney का aanad लिया गया ॥ और फ़िर से mohaabaat की sabsey बड़ी daastan को dekhney का sapna karwa को aagey ले चला ।
सभी बस यही इन्तजार कर रहे थे की बस अब्ब जल्दी आगरा पहुचे और ताज जो की सपनो में टीवी पैर देखा था अपनी आँखों के सामने हो . ..किसी ने उससे पहले ताज को देख नहीं था .. गाडी चल रही थे और कुछ की आंखे सपनो में खोने को भी सोच रही थी पर मेरे बातो के आगे सभी नींद की मस्ती को कुछ देर तक टालने की कोसिस कर रहे थे ...
और हमारी गाडी अचानक जाम में फँस गई और पता करने पर पता चला की बहन मायावती वही पर अपना चुनावी भासन दे रही थी. हमरे ग्रुप में चिकनी नितेश अम्बुज को थोडा राजनीती में रूचि है तो उन्होने वह भी कुछ अपनी चुनावी यदी ताज़ा की ..और फिलोस्फेर साहब पोपट जी ने उनका साथ दिया और हमसभी लोगो ने ध्यान से सुन लिया ..
और जब गाडी आगरा पहुचने वाली थी तो चिकनी नितेश ने कहा यार आज सुकरवार है और आज ताज महला बंद है .तो सभी बोले की कोई नहीं पहले भरतपुर चलते है .पर साम एक ५ बज रहे थे और सेंचुरी ६ बजे बंद हो जाती है ..और मेरे एक नितेश के अलावा किसी एक चिरिया देखनेका शौक नहीं था. तभी सिंह साहब एक मील के पाथेर पर मथुरा २० किलोमीटर लिखा दिखा .और उन्होने सबसे कहा की यार मथुरा चलते है ..
और पोपट साहब ने सबसे पहले हामी भरी और करवा भगवान् की नगरी की तरफ चल पड़ा ..और इसे आप बस भगवान् की माया ही बोल सकते थे कियोकी " हम तो चले थे मैखाने की तरफ़ और मंजिल मन्दिर पर जाकर ख़तम huee" मथुरा नगरी में प्रवेश करते ही सभी की आँखों में एक चमक दिखाई दे रही थी ..और कियो न हो यार ..हम उस आदमी की नगरी में थे जिसको दुनिया का पूरा आदमी कहा गया है ...
"जिसने बचपन जिया तो ऐसा की लोग कहते है की बहुत बड़ा माखन चोर जा रहा है ..और जिसने जवानी जी ऐसी की की लोग कह्तेय्की बहुत बडे कन्हिया बने फिरते फिर. जिसने पांच मूर्खो की एक अचीन सेना के आगे जीता दिया...और जिसने उपदेश दिया ऐसा की जिसपर सारे नोबेल पुरूस्कार कुर्बान है .."
जिसकी मीरा और राधा दीवानी थी ....उसकी नगरी में कुछ तो बात थे की सभी की थकावट दूर फिर गई और मन की एक अजीब सी सांति मिल रही थी..
हमे तभी एक गाइड मिला उसने बोला की २० रुपए देना सर जी पूरा गोकुल और मथुरा घुमा दूंगा .. और पोपट सर ने बोला की इसको गाडी में बिठा लो ...और आगे मई तभी लिखूंगा जब आप जो इतना पार्ट कैसा लगा ..
Monday, April 27, 2009
Tuesday, April 21, 2009
१० साल बाद मेरा गाँव
मै इसके पहले गाँव गया था जब मै क्लास ९ में था । खैर चलिए आपको रास्ते से सुरु करता हूं और गाँव में दो दिन रहने तक के सफर से मुखातिर करता हूं ।
आप सभी को अगर अपने गाँव के बारे में सोचे तो सबसे पहले बाबा और दादी की याद आती है .
आप को अगर विसवास नही आता तो एक बार सोच कर देखिये आप अपने बचपन में चले जावोगे और
आप देखोगे की आपके बाबा और आपकी दादी, गाँव में घर के बाहर बंधे गाय और बैल ।
आपका आम का बागीचा । वोह लहराहते हुए खेत । और गाँव की पूखर , वोह घर में बना मिटटी का चूल्हा । और घर के दालान में बाबा के दोस्तों का बैठना । वोह आपका गाँव के दोस्तों के साथ पाथर से आम तोड़ना ..और भी बहुत कुछ जिसको लिखने के लिए मेरे पास सब्द नही है ।
वोह रात को दादी का भूत वाली कहानी सुनना ...वोह दादी का आपको चुरा कर दूध रोटी खिलाना ..आप को लेकर भूजा भुज्वाने "घोंसार" में जाना । वोह आपको सबसे मिलवाना की " देखा यी हामर बाबू के लैका हा सहर में पड़ेला बड़ा होकर डॉक्टर बनी हम्मर बाबू " ॥ यह बात तो मेरी दादी बोलती थी , पर मै दावे के साथ बोल सकता हूं की आप सब की दादी भी कुछ ऐसा ही बोलती होंगी॥
" न गीता से न कुरान से अदा होती है ॥
न बाद्साहो की दोलत से अता होती है ॥
रहमते बरसती है उन पर जिन पर बाबा ,दादी और बुजुर्गो की दुआ होती है॥
चलिए यह तो कुछ बीता कल था॥ आइये आपको आज में ले चलो॥ तो मैंने रिज़र्वेशन करवा लिया था १५ दिन पहले और मै बहुत खुस था की मै १०-१२ साल बाद गाँव जा रहा हूं ॥ मेरे बाबा है वहा पर, मेरी दादी तो नही रही अभी ॥ तो जब मै गाँव के स्टेशन पर उतरा ॥ उस समय दिन के २ बजे थे । मेरे गाँव का स्टेशन लार रोड है ॥ वहा से जब मै बाहर गया तो मैंने देखा की सभी मेरे को घूर घूर कर देख रहे है॥ फिर मैंने गौर किया की मै तो साला सलमान की तरह सजा हूं ..जैसा की मेरे को यह ग़लत फैमी है की मै तिशिर्ट पहन कर सलमान लगता हूं ॥ पूरा चस्मा लगा कर मै कंधे पर बैग लिए एक ऑटो के पास जाकर पुछा ॥
" भाई तिलोली गाँव का कितना किराया लोगो "
ऑटो वाला : का बाबू मुंबई से आवा तारा का ॥
पंकज : नही कोलकता से आ रहा हूं आप यह बतावो की कितना किराया लोगो और कितनी देर लगेगा ॥
ऑटो वाला : २०० रुपया लागी और रास्ता थोड़ा खराब हो गईल बा यह से आधा घंटा ता लागी बाबू॥
पंकज : ठीक है दो मिनेट रूको मै थोड़ा मिठाई और फल ले लेता हूं ।
इतना कहकर मै एक फल वाले के पास गया तो उससे बोला की आप एक किलो सेब दे दो ॥
तो फल वाला बोला की ४५ रुपया के बा डे दी ॥
तब मै समज गया ॥ और मैंने भी भोज पुरी स्टार्ट की ...और बोला
पंकज : का हो अबे ता तू ३५ -३५ चीलात रहला ..हमरा के देख कर ४५ बोला तारा ..का सोचला हा की हम कही बाहर के ही का ॥
फल वाला : अरे maaf करी बाबू..आप ऐसन बनल ठानल बानी की बूझा ता की सीधे मुंबई से आवा तानी॥
पंकज : वाह भाई ... ऊपर के कपड़ा देख कर सब भाव बाढा देले हा ..अंदर के आदमी देखे ..हम येही गाँव के हाई ॥
फल वाला : माफ़ करी बाबू ..आप ता केतना सुंदर भोजपुरी बोला तानी काहा जाइम आबे ॥
पंकज: तिलौली गाँव जाइम यार ॥ aato वाला २०० माँगा ता ...तुहू ३५ से ४५ का देले हा ..सोचा तानी की कोना में जाकर पहले ड्रेस बदल ली॥
फल वाला : अरे न आप हमरा ऑटो से चल जाई १०० रुपया डे डेम और हा २ किलो सेब डे डे तानी ...तिओहार हा ॥
तो ऐसे कर के मै अपने घर पंहुचा ॥ दिन के करीब ४ बजे थे। मेरे बाबा अपने दोस्तों के साथ घर के बाहर बैठ कर तास खेल रहे थे । मैंने उनके पैर छुआ तो वोह मेरे को देख कर बस गले लगकर रोने लगे ॥ और जोर से चिला -चिला कर बोलने लगे " यह लखन देखे हमार बाबू आ गइल...यह बलेसेर देख बाबू आ गइल हमर ...अब्ब तू हमारा के ५०० रुपया देबा ..जानातारा हमरा से ये सरत लगाए थे की तू न आइबा ..देखा बलेसेर " ...
आप बिस्वास नही करोगे मै एकदम से समज नही पा रहा था की कोई मेरे को इतना भी प्यार करता है ..की मेरी गाँव में एक जलक देखने के लिए वोह ५०० की सरत लगा कर बैठा है ॥ मै अपने आंसू रोक नही पाया ॥ फिर मेरे घर से चाची आई मेरी मेरी छोटी दादी आई ...सभी मेरे को बस पकड़ के रो ही रहे थे ॥ मेरे को यही लगा की मैंने कितनी बड़ी गलती की मैं इतने दिन बाद अपने गाँव आया ॥
मै आप लोगो से यही कहूँगा की आप अपने गाँव को मत भूलो ...आप कही चले जईओ॥ पर मै इस बात का दावा करता हूं की अपनी मिटी जहा आप जनम लिये हो जो आपका गाँव है ॥ आप उसको मत भूलो ..आप कम से कम साल में एक बार तो जरूर जियो ...आपकी मिटटी का क़र्ज़ है आप पर॥ मै अपना एक्स्पेरिएस लिख रहा हूं ..और यह आसा है की आप इसको पड़कर एक बार भी अपने गाँव को याद कर लेते हो तो दोस्त मेरा यह लिखना सफल हो जैगा ॥
चलिए आगे की बात बातता हूं ...तो उस दिन तो रात में मेरी छोटी दादी ने मेरे लिए फ़िर वही लिट्टी बनाई॥ और मेरे से खूब बाते की ..उनकी बाते पूरी नही हो रही थी ॥ और पता है क्या बाते कर रही थी । यही की जब मै २ साल का था तो कैसे "लंगटे" घूमा करता था गाँव में ॥ और माड़-भात खाकर और थाली अपने सर पर रख लेता था । कैसे मैं दरवाजे पर खडे होकर उनको बुलता था ॥ मै सही बोल रहा था उनकी २-३ घंटो की बातो में मै अपना बचपन दुबारा जी कर आ गाया । बात करते -करते उनका मेरे को पकड़ कर रोना ...सही बोल रहा हूं सब्द नही मेरे पास की उसको लिख सकू॥
और जब से मै गया था तब से मेरी चाची और दादी बस पीछे ही पड़ गई थी की बस अब्ब शादी करो॥ अपने रिस्तेय्दारी में कई लड़कियों के बारे में बतया ॥ मै ऐसा हूं की बस ख़ुद बोलता हूं और किसी को बोलने का मौका नही देता ..पर उस दिन मै बस उनकी बातो में अपने लिए प्यार देख रहा था ॥
सुबह मै क्या खाऊँगा ..काहा घूमने जाऊँगा सब कुछ की प्लानिंग कर रहे थे ॥ और जब मैं रात को खाना खा रहा था तो मेरे बाबा भी घर में आ गए ॥ तो चाची और दादी ने पूरा घूघट किया और पास में खड़ी हो गई । और बाबा कुर्सी पर बैठ कर मेरे से बोल रहे थे ॥ ( कुछ अंश)
बाबा : बाबू कल मै तुमको अपने साथ गाँव में घुमाने ले चालूँगा । और कुछ विसिस्था लोगो के घर चलेंगे॥
पंकज: जी बाबा ॥
बाबा: अरे बहु इसको और खाना खिलआयो ..देख रही हो कैसा पतला दुबला हो गया है (वैसे मै आपको बता दूं मेरा बजन ७६ केजी है) ॥ और इसको दूध देना जो घर का है ॥ (मेरे घर पर एक गाय है)॥ और बाबु तुम कल सुबह जल्दी उठ जाने मै तुमको अपने खेत दिखाने ले चलूँगा ॥ तुम्हरे बाप तो आते नही है ..पर तुम जो आज १० साल बाद आए हो . (यही कहकर रोने लगे) ॥ आज तुम्हरी दादी होती तो उससे जादा खुस इस गाँव में कोई नही होता ॥
फिर मेरे लिए बहुत सही बिस्तेर किया गया ॥ और मेरी choti दादी नें मेरे सर पर वही पुरना हिम्ताज तेल लगा कर मालिस की॥ सच बोल रहा हूं .उस समय मेरा सर मेरी दादी की आँचल में था ॥ आप को मै बता नही सकता की मै यही सोच रहा था की अब्ब मै कम से कम साल में टाइम निकाल कर यहाँ जरूर आऊंगा॥
फिर जब सुबह हुई तो मेरे बाबा मेरे को जगाने आए ॥ और बोले की तुम फ्रेश हो लो और नहा लो ॥ आप समज सकते हो की नवम्बर का महिना था ..और सुबह के ६ बजे थे ॥ और मैंने उस समय जब घर के बाहर लगे हैण्ड पम्प पर नहया तो ..सच कह रहा हूं ॥ दिल प्रसन हो गया ॥ फिर बाबा ने मेरे को अपना कुरता दिया और बोला की यह मैंने तुम्हरे लिए बनवाया है । तुम इसको पहन कर चलो॥
फिर बाबा मेरे को गाँव के बाहर जो मेरे खेत थे उन सबको दिखाने ले गए ..उस समय गंहू की फसल लगी थी॥ और खूब प्यारी हवा चल रही थे मेरे को बहुत अछा लग रहा था ॥
फिर मै १० बजे तक घर आ गया ॥ और फिर अपने चचेरे भाई और बाबा के साथ गाँव घूमने गया ॥ बाबा मेरे को अपने ४-५ दोस्तों के घर ले गए ॥ और सब जगह यही बोलते की यह मेरा पोता है, और कोलकता में कंप्यूटर इंजिनईर है ॥ फ़िर घर की औरते मेरे को अंदर बुलाती ॥ (और कैसी बात करती कुछ अंस ॥mai unko bhabhi keh ker sambodhit kerta huin)
भाभी : का dewar जी आप ता पूरा हीरो है ..अछा गाँव में सम्हाल कर जायेगा ..कोई लड़की आपको पकड़ न ले ॥ अछा कोलकता में कोई देवरानी दूंदे है हमारे लिए ..की हम डूंड डे॥
पंकज : नही भाभी आप ही डूंड दीजिये ॥ आप तो अछा दूंदोगी ..आप की तरह ही डूंड दो मेरे लिए भी॥
भाभी : अरे मेरी बहन से कर लीजिये ..मेरे से भी सुंदर है ..और आप सहर में उसको जैसा रखियेगा वैसी रहेगी॥
कहिये तो आपके पापा से बात करे ॥
पंकज : हा जी बिल्कुल॥
भाभी : और आप तो इसके पहले आए है कभी छाट पूजा में ॥ हम तो आपको पहली बार देख रहे ॥ वैसे सुना था बहुत आपके बारे में ..आपकी चाची बहुत बात करती है आपके बारे में ...खैर जैसा सुना था उससे भी बड़कर है ॥
चलिए कुछ खा लीजिये ॥
तो इस तरह की बाते की मैंने भाभी लोगो से ...
अब्ब मै थोड़ा गाँव में अपने भाई के साथ निकला ऐसे ही घूमने के लिए ...तो एक जगह ५-७ लड़के और कुछ लोग थे ॥ उन्होने मेरे को बुलाया ... (उनके साथ बात के कुछ अंश ..मै उनको भईया कहकर बुलाता हूं )
भइया : अरे आप तो कोलकता में है न ...आप तो रमेश (मेरे पापा का नाम ) भइया के लड़के है न ॥ हा आपके बाबा कह रहे थे॥ की आप आने वाले है ..तो गाँव घूमे ...कैसा लगा आप तो बचपन में आए थे ..कुछ याद आ रहा है आपको ॥
पंकज : हा भइया जी अछा लगा रहा ..कल तो छाट पूजा है ..और भी अच्जा लगेगा ॥
भइया : और बाबु किस कंपनी में काम करते है ... कोई बिदेसी कंपनी है ..आपके बाबा बता रहे थे ॥
पंकज : हा मै एक मुल्तिनाशंल कंपनी में काम करता हूं ..और यहाँ भी उसकी ब्रांच है ..कोलकता में मै वही काम करता हूं॥
भयिया : अछा आपको पैसा तो अछा मिलता होगा ... ३०-४० के करीब ॥
पंकज : हा मिल जाता है इतना ॥
भयिया:अछा क्या पढाई पडे थे बाबू...और कितना खर्चा आया था ॥
पंकज:मैंने यम् .सी .ये किया है और पूरा कोर्स में १ लाख के करीब फीस लगी थी॥
भइया : हा आपके पापा तो सरकारी नौकरी करते है ...चलिए बहुत अछा बाबू॥ अछा आपकी कंपनी में चपरासी भी तो काम करते होंगे ... हमको लगता है उनको भी १० हज्जार तो मिलता होगा ॥
पंकज : हा आराम से॥
भइया : अछा आप तो सहर में जॉब करते हो कुछ गाँव के लिए भी करो एक दो आदमी को अंदर कर्वैओ अपनी कंपनी में ॥
पंकज : हा कोई पढ़ा लिखा हो तो बताइए ..देखिये जरूरी नही की मेरी कंपनी में पर और भी कही जॉब लग जैगी ..हा मै उनको रहने -खाने में मदत कर दूँगा ॥
भयिया: " ये सिज्जुया हेने आइओ ता ..." बेटा यह सिज्जू है ..गाँव के सबसे पडे लिखे है ..." bol na ka padley baadey "
पंकज : हा सिज्जू भयिया ..आप बोलो आप क्या पढे हो॥
सिज्जू : अरे कुछ न हम बी.ऐ पढ़ल बानी ...कुछ जुगाड़ होखे ता बतैओ ॥
पंकज : हा आप अपना डिटेल मेरे को डे देना ..मै कोसिस करूंगा ॥
सिज्जू: अछा पिन्किया बतावत रहे की कंप्यूटर लेकर आइल बड़ा ...
पंकज : हा कंपनी दी है लैपटॉप काम करने के लिए ..की घर से भी काम कर सके॥
सिज्जू: हमनियो के दिखवा ...और कैमरा से फोटो -शोतो खीचा ॥
पंकज : हा एकदम कल छाट के घाट पर पूरा सबके फोटो खीचम॥
तो इस तरह वोह दिन पार हुआ मै पूरा गाँव घूमा और सबसे बाते की ...और मैंने यह देखा की सभी मेरे से बात करना चाहते थे ...खासकर भाभी लोग ॥ फिर दूसरे दिन छाट पूजा थी॥ मै गाँव के बाजार गया साइकिल से और सब सामान लेकर आया जो पूजा में लगना था ॥
फिर साम को मै छाट घाट पर गया .वहा पर पूरा गाँव जुटता हुआ था ॥
मैंने सभी से बाते की और बहुत एन्जॉय किया ..और फिर दूसरे दिन मेरे को वाप स आना था ...
जब मै अपने घर से वापस आ रहा था तो सभी की आंखे नम थी ..पर मैंने सबसे काहा की मेरे को बहुत अछा लगा की मै यहाँ आया और छाट पूजा को आप लोगो के साथ एन्जॉय किया ॥ और मै यह आप लोगो से वादा करता हूं की मै हर साल आऊंगा ॥
और फिर मै वाप स कोलकता आया ॥ तो यह थी मेरी गाँव की कहानी ....जो पल मैंने वह अपनी परिवार के साथ बिताये ..उनको याद करके आज भी मेरे होंठो पर मुस्कान आ जाती है॥
मै यही कहूँगा की आप सब को अपने गाँव जाना चाहिये और अपने बाबा ,दादी और अपनी फॅमिली के लिए टाइम निकालना चाहिये ॥
"